What Is Perfect Competition In Hindi ,Perfect Competition In Hindi,Perfect Competition Meaning In Hindi,Features of Perfect Competition
नमस्कार दोस्तो:Quickguruji मे आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे Perfect Competitiotion के बारे में और जानेंगे उनके Features of Perfect Competition के बारे में.
दोस्तो Perfect Competitiotion के बारे में सबसे पहिले एक बात जान लो ये एक Imaginary Concept है इसका रियलिटी से कोई नाता नहीं है.इस बात को याद राख कर इस कॉन्सेप्ट को समझो.तभी आपको यह आर्टिकल और अच्छे समझ आएगा.तो चालिये आज का आर्टिकल शरू करते है.
What Is Perfect Competition (Perfect Competition Kya Hai)
Perfect Competition के बारे में और बाते जनाने से पहिले में आपको बता देना चाहता हु की,इस कॉन्सेप्ट को Introduced किया था,Dr.Alfred Marshall ने.
Perfect Competition उस मार्केट में होता है,जहा लार्ज नंबर ऑफ बायर एंड लार्ज नंबर ऑफ सेलर होते है.और सेलर सेल करते है Homogeneous Goods को.
Homogeneous goods क्या होते है ?
Homogeneous Product/Goods मतलब सेम टू सेम प्रोडक्ट जैसे की,साइज में,शेप में लेकिन इनकी कंपनी/फर्म अलग अलग हो सकती है.
अब फिर से आते है हमारे टॉपिक के उपर.जहां Perfect Competition के केस में फर्म(Firm) प्राइस टेकर होती है.और इंडस्ट्रीज प्राइस मेकर होती है. मतलब जहा सारी फर्म एकसाथ होती है उसे हम इंडस्ट्रीज कहते है.
यहां इंडस्ट्रीज जो है वो प्रोडक्ट की प्राइस फिक्स करती है,इसलिए उसे प्राइस मेकर कहते है.एंड फर्म जो है उस प्राइस को एक्सेप्ट करती है इसलिए उसे प्राइस टेकर कहा जाता है.
क्युकी यहां सभी सेलर एक ही तरह के प्रोडक्ट को सेल करते है,इसलिए यहां कॉम्पिटिशन करने का भी कोई फायदा नही होता.
Features of Perfect Competition (Perfect Competition मार्केट की खासियत )

1.Large number of Buyer and Seller:
मार्केट में बहुत सारे बायर एंड सेलर है.किसी सिंगल बायर के लिए सेलर अपने प्रोडक्ट की प्राइस को चेंज नहीं करेगा.प्रोडक्ट का जो प्राइस है सेलर उसी प्राइस में ही उस प्रोडक्ट को सेल करता है.यह सेलर को कोई फरक नही पड़ता बायर उससे प्रोडक्ट ले या ना ले.यह सेलर की ये सोच होती है.देख भाई तुझे खरीदना है तो खरीद वरना मार्केट में दूसरे बहुत सारे बायर भी है.
वही सेलर के प्वाइंट ऑफ यू से बोलूं,तो सेलर उस प्रोडक्ट को हाई प्राइस में नही बेच सकता.अगर वो ऐसा करने की कोशिश भी करेगा,तो उस टाइम बायर की ये सोच होती है की रहने दे भाई में किसी और सेलर से खरीद लूंगा.
2.No Advertisement cost –
Perfect competition मे सेलर अपने प्रोडक्ट के लिए कभी भी advertisement नही देता.इसलिए सेलर की वो कोस्ट बच जाती है.अगर मान लो वो advertisement देगा भी तो उसी का ही नुकसान होगा.
क्युकी अगर वो advertisement के लिए खर्चा कर देता है.तो उसका बेनिफिट उसके साथ मार्केट के सभी सेलर को मिलेगा.जिस से उसका प्रॉफिट मार्जिन कम हो जाता है.
3.No Transport cost
इस टाइप के मार्केट में तो ट्रांसपोर्ट का भी खर्चा नहीं होता.क्युकी पूरी मार्केट में लार्ज नंबर में सेलर Available होते है.इसलिए ट्रांसपोर्ट का खर्च बच जाता है.
4 Perfect knowledge
मार्केट में सेलर को अपने प्रोडक्ट के बारे में अच्छी बुरी जैसी सारी जानकारी मालूम होती है.इसलिए वो सही बायर को टारगेट कर के अपने प्रोडक्ट को बेचते है.सही बायर मतलब जिसे उस प्रोडक्ट की जानकारी ना हो. लेकन परफेक्ट कॉम्पिटिशन के मार्केट में बायर और सेलर दोनो को मार्केट के बारे अच्छी नॉलेज होती है.इसलिए कोई एक दुसरे को चुना नही लगा सकता.
5.Homogeneous Product
All the buyer & seller in this matket selling in the same product. इसलिए मार्केट में हर जगह प्राइस कांस्टेंट ही रहता है.इन केस अगर कोई सेलर अपने प्रोडक्ट के प्राइस को बढ़ा भी देगा,तो वो सेलर मार्केट से ऑटोमैटिक बाहर हो जायेगा.क्युकी बायर तो दूसरे सेलर के पास चले जायेंगे.
6.Firm Is Price Taker-
परफेक्ट कॉम्पिटिशन में फर्म जो है वो हमेशा प्राइस टेकर होती है.और इसके बारे में,मेने आपको उपर आर्टिकल के शुरवात में ही बता दिया था.
7.No Government Intervention
Government does not interfere in this market.परफेक्ट कॉम्पिटिशन मे सरकार बोलती है,आप आराम से बिजनेस करो, हम आपको Distrub नही करेंगे.आपके काम में कोई भी किसी तरह की रिस्ट्रिक्शन नही लगाई जाएगी.
8.Free Entry & Exit
किसी भी बिजनेस में तुरंत एंट्री करना बहुत मुश्किल होता है.अगर एंट्री मिल भी जाए तो वहा से एक्जिट (Exit) लेने में बहुत प्रॉबलम आती है.लेकिन परफेक्ट कॉम्पिटिशन में ऐसा नहीं है.आप आसानी से मार्केट में एंट्री ले सकते हो और कोई दिक्कत आती है तो वहा से तुरंत एक्जिट भी ले सकते हो.इसे एक उदाहरण से समझ ते है.
उदाहरण : दो जिगरी दोस्त रमेश और सुरेश ने परफेक्ट कॉम्पिटिशन की फील्ड में एक बिजनस शुरू किया.जिस में उन्होंने जितना सोचा उसे कई गुना ज्यादा उन्हे उस बिजनेस में प्रॉफिट हुआ. उम्मीद से कई गुना ज्यादा प्रॉफिट हुआ है इसलिए इसे में सुपर नॉर्मल प्रॉफिट बोल रहा हु,ताकि आगे आपको और अच्छे से बता सकू इसलिए.
अब रमेश और सुरेश का बिजनेस इतना अच्छा चल रहा है,ये देख कर दो और लोगो राम और श्याम ने भी यही बिजनेस में शुरू किया मार्केट.अब बिजनेस में चार लोग होने इसके चलते चारो को नॉर्मल प्रॉफिट मिलने लग.
क्युकी पहिले बिजनेस सिर्फ दो लोग होने के चलते दोनों को उम्मीद से भी ज्यादा का प्रॉफिट मार्जिन मिलता था.लेकिन 4 लोग होने के चलते.अब प्रॉफिट 4 लोगो में डिवाइड होने लगा.इसलिए उन्हे जो प्रॉफिट मिला उसे हम नॉर्मल प्रॉफिट बोलेंगे .क्युकी अब रमेश और सुरेश को पहिले जैसा भर भर के प्रॉफिट नही मिला.
इस बिजनेस की ग्रोथ देख कर मार्केट में यही बिजनस करने के लिए दो और लोग आ गए.लेकिन इस बार 6 लोग होने के चलते सभी को बिजनेस में लॉस होने लगा.
और अब जैसे ही बिजनेस में लॉस हुआ रमेश और सुरेश ने सोचा अब इस बिजनस से एक्जिट करते यार अब कुछ बचा नही.इसलिए रमेश और सुरेश अपना बिजनस बंद करते.
अब उनके बिजनेस बंद करने से,फिर से चार लोग हो गई.और फिर से इन चारो को नॉर्मल प्रॉफिट मिलने लगा.तो देखा अपने कितने आसान से आप इस मार्केट एंट्री और एक्जिट कर सकते हो.

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(Note:Perfect Competition यही सारी खासियत (Features) उनकी Assumptions भी होते है )
आखरी शब्द
दोस्तों में उम्मीद करता हु,की आपको आज का हमारा आर्टिकल Features of Perfect Competition In Hindi पसंद आया होगा.
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