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तीसरे बार Repo Rate बढ़ने के बाद भी इन ग्राहकों पर उसका असर नही पड़ने वाला.
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दरसल Repo Rate बढ़ने सबसे बड़ा छटका बैंक से लोन लिए ग्राहकों को लगता है.
क्युकी यहां उन्हे ज्यादा EMI पे करनी पड़ती है.
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मगर बैंक से लोन लेने वाले कुछ कंज्यूमर ऐसे भी होते है,जिन्हे रेपो रेट के बढ़ने का उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
ऐसा उनके साथ इसलिए होता होता है,क्युकी इन कंज्यूमर ने फिक्स्ड रेट लोन का ऑप्शन को सिलेक्ट किया होता है.
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काफी लोगो को पता नहीं होगा,तो उन्हे बता दू
बैंक से जो लोन लिए जाते है वो लोन दरहसल दो तरह के इंटरेस्ट रेट पर पेश किए जाते है.
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पहिला होता है फिक्स्ड रेट लोन और दूसरा होता है वेरिएबल रेट्स लोन.
1.फिक्स्ड रेट लोन.
ये वो तरीका होता है जिस में आपका लोन का इंटरेस्ट फिक्स्ड ही रहता है.इस में इन फ्यूचर में भी कोई बदलाव नहीं आता .
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अब इसी साल का उदाहरण लो,इस साल चार महीने में तीन बार रेपो रेट बढ़ चुका है.
मगर जिन कंज्यूमर ने लोन लेते वक्त फिक्स्ड रेट लोन का ऑप्शन चुना होगा उन्हे उनके रेगुलर रेट से ही बैंक को पेमेंट करना है.
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रेपो रेट के बढ़ने से उन कंज्यूमर पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला
और वैसे भी आज के कंज्यूमर स्मार्ट हो चुके है,लोन लेते वक्त उनकी पहिली चॉइस फिक्स्ड रेट लोन की ही होती है.
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2.वेरिएबल रेट्स लोन.
दूसरा है वेरिएबल रेट्स लोन,ये पूरी तरह फिक्स्ड रेट लोन के अपोजिट होता है.
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यहां आपके इंटरस्ट रेट में मार्केट के हिसाब से बदलाव आते रहते है.
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