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Repo Rate बढ़ने से बैंक के लोन महंगे क्यू हो जाते है .
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दोस्तो जैसे ही रेपो रेट बढ़ने की खबर आती है,तो तुरंत लोग लोन कितने से महंगा होगा ये अंदाजा लगाते है.
मगर सवाल ये है,की Repo Rate बढ़ाने से बैंक से मिलने वाले लोन महंगे क्यू हो जाते है ?
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बैंक से मिलने वाले लोन में और रेपो रेट इन दोनो का आपस में क्या कनेक्शन होता है.
तो जवाब काफी आसान है.इसे समझ ने के लिए आपको एक उहारण को समझ ना होगा.
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अगर आप एक बिजनेस करते हो,तो बिजनेस में प्रॉफिट हो यही सोच कर बिजनेस करते हो.
100 रुपए की एक चीज को अपने Supplyer से खरीद कर उसे 150 रुपए में अपने कंज्यूमर को बेचते हो.तभी आपको 50 रुपए का प्रॉफिट होता है.
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ठीक उसी तरह बैकिंग फील्ड भी एक बिजनेस होता है.
जिस मे रेपो रेट मतलब वो रेट होता है,जिस रेट पर सेंट्रल बैंक(RBI) कमर्शियल बैंक को लोन देती है.
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अगर RBI रेपो रेट को बढ़ाती है,तो कमर्शियल बैंक मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है.
अब कमर्शियल बैंक को ही लोन महंगा मिल रहा है,तो कमर्शियल बैंक अपने ग्राहक जिन्हे लोन की जरूरत होती है,उन्हे महंगा लोन देती है.
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मन कर चलो अगर RBI किसी भी कमर्शियल बैंक को 6 % रेट के हिसाब से लोन देती है.और वही कमर्शियल बैंक अपने ग्राहक को 8% रेट के हिसाब से लोन देता है.
मगर अचानक RBI ने अपना रेपो रेट बढ़ाया जिसके चलते अब RBI कमर्शियल बैंक को 8% के हिसाब से लोन देगा.
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अब कमर्शियल बैंक को ही 8% से लोन मिल रहा है,तो वो अपने ग्राहक को 10%या 11% रेट के हिसाब से लोन देगी.
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क्युकी बीच में बैंक को भी कुछ पैसे कमाने होते है.
और भविष्य में जब रेपो रेट कम हो जाता है,तो कमर्शियल बैंक भी अपने लोन सस्ते कर लेते है.
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बस यही कनेक्शन है रेपो रेट और बैंक लोन में.
दोस्तो,इसी तरह Economics,Taxation और Finance रिलेटेड नए नए इनफॉर्मेशन के लिए अभी Read More बटन पर क्लिक करे.
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