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Demat Account History (Demat Account का इतिहास)
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दोस्तो आज के टाइम इन्वेटर्स के लिए डीमैट अकाउंट के जरिए ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करना काफी आसान हो गया है.
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आपको आज क्विक रिजल्ट मिल जाता है.क्युकी आज का जमाना ही इंटरनेट का जमाना है.
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जहां पर आपके शेयर को डीमैट अकाउंट में बिलकुल सेफ तरीके से,
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Dematerialised Form में यानी डिजिटल फॉर्म में रखे जाते है.
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लेकिन जब डीमैट अकाउंट नही था,तब कैसे ट्रेडिंग चलती थी.
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आज हम उसी के बारे में बात करने वाले है.
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तो दोस्तों पुराणे टाइम पर किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदने पर कंपनी आपको उसके साथ शेयर सर्टिफिकेट दिया करती थी.
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और जब आप उस शेयर को किसी और को बेचना होता था,
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तब उस शेयर सर्टिफिकेट को भी उसके नाम ट्रांसफर करना पड़ता था.
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ये काफी Time Consuming प्रोसेस होता था.
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उसी के साथ उन शेयर सर्टिफिकेट को संभाल कर रखना एक काफी बड़ा चैंलेज हुआ करता था.
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लेकिन वक्त के साथ साथ भारत में कंप्यूटर,इंटरनेट जैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने लगा.
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इसलिए शेयर्स की भी डिजिटल लेवल पर ट्रेडिंग होने लगी. साल 1996 ये वो साल था जब NSEने शेयर्स को डीमैट अकाउंट को डिपोजिट करना शुरू कर दिया था.
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और तब से लेकर आज तक डीमैट अकाउंट से सेफ ट्रेडिंग की जाती है.
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Thank You.
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